tag:blogger.com,1999:blog-1278379767486956981.post7089299873935647178..comments2023-12-29T13:41:52.927-08:00Comments on अनकहे किस्से: अपने पराये की पहचान..Amit Mishra 'मौन'http://www.blogger.com/profile/04778984295721485639noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1278379767486956981.post-59293205574571631022018-05-24T21:15:41.566-07:002018-05-24T21:15:41.566-07:00ख्वाहिशों का बचपना भी चंचल ना रहा अब
उम्मीदों की ह...ख्वाहिशों का बचपना भी चंचल ना रहा अब<br />उम्मीदों की हकीकत कुछ यूँ जवान हो गयी<br /><br />वाह वाह क्या खूब लिखा है...हर एक शेर अपने में यूनिक है.<br />ठोकरें लगती है तब पता चलता है कि ये जमाने के लोग तो अपने नहीं हैं लेकिन क्या अपनी रूह पर भी इस जमाने का कब्जा हो गया है.<br />लाजवाब गजल.<br />पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ और बहुत ही अच्छा लगा..तो follow भी कर रहा हूँ ताकि आगे भी अच्छा लगता रहे .. :) :D <br /><br />मेरे ब्लॉग पर स्वागत है आपका--> <a href="https://rohitasghorela.blogspot.in/2018/05/4.html" rel="nofollow">हाथ पकडती है और कहती है ये बाब ना रख (गजल 4)</a><br /><br />.<br />Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1278379767486956981.post-70517766817711148052018-05-22T22:58:33.392-07:002018-05-22T22:58:33.392-07:00जी शेर की गहराई में जाने के लिये शुक्रिया आपका🙏जी शेर की गहराई में जाने के लिये शुक्रिया आपका🙏Amit Mishra 'मौन'https://www.blogger.com/profile/04778984295721485639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1278379767486956981.post-28936076315961162572018-05-21T22:36:05.538-07:002018-05-21T22:36:05.538-07:00झोंपड़ी जब मकान हो जाती है तो रौशनदान बंद हो जाते ह...झोंपड़ी जब मकान हो जाती है तो रौशनदान बंद हो जाते हैं ...<br />गहरा अर्थ लिए है ये शेर ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1278379767486956981.post-26068993465816659252018-05-20T22:10:11.018-07:002018-05-20T22:10:11.018-07:00जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका🙏जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका🙏Amit Mishra 'मौन'https://www.blogger.com/profile/04778984295721485639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1278379767486956981.post-34601811297404260272018-05-20T12:40:17.150-07:002018-05-20T12:40:17.150-07:00आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ... आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २१ मई २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/<br /><br /><br /><br /> टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।<br /><br /> निमंत्रण <br /><br />विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/'एकलव्य'https://www.blogger.com/profile/13124378139418306081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1278379767486956981.post-40020773567471414152018-05-18T04:04:10.038-07:002018-05-18T04:04:10.038-07:00जिंदगी कईं कटु अनुभवों का पिटारा हो जाता है धीरे-ध...जिंदगी कईं कटु अनुभवों का पिटारा हो जाता है धीरे-धीरे <br />बहुत अच्छी प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com