हम अक़्सर ये कहते हैं कि बाल्यकाल मानव जीवन का सबसे ख़ुशनुमा दौर होता है और हमें अपने अंदर के बच्चे को हमेशा ज़िंदा रखना चाहिए। इसका एक अर्थ ये भी है कि जीवन में उत्सुकता और अज्ञानता (कुछ बातों के लिए) भी बनी रहनी चाहिए।
उत्सुकता बनाए रखने का एक तरीका ये भी है कि हम जीवन मे कुछ न कुछ नया करते रहें या नयी कोशिश करते रहें। हम उन चीजों को करने का प्रयास करें जिसके बारे में हमें नही पता या यूँ कहें जो हमें सीखनी पड़ें।
क्योंकि जब तक हमारे अंदर अज्ञानता की भावना रहेगी तब तक हमारे मस्तिष्क में घमंड नही आएगा और जब तक सीखने की ललक और उत्सुकता रहेगी तब तक जीवन नीरस नही होगा।
नासा और इसरो अभी भी चाँद की सटीक दूरी का अंदाज़ा लगाने के लिए प्रयासरत हैं पर मेरे अंदर का बच्चा कहता है कि चाँद तो हमारे घर के सामने ही है। किसी दिन कोई बड़ी सी चिड़िया आएगी और मुझे अपने पंखों पर बिठाकर चाँद तक ले जाएगी।
अमित 'मौन'