Saturday 28 November 2020

भाग्यशाली

सुख और दुःख एक सिक्के के दो पहलू हैं। पर विडम्बना ये है कि कभी कभी हमारे हिस्से वो सिक्का आता है जिसके दोनों पहलू में दुःख ही छिपे होते हैं।

ऐसे में भाग्य का सिर्फ़ इतना महत्व होता है कि वो सिक्के को उछालने के बाद ज़मीन पर गिरने ही ना दे।

मैं अपने जीवन में सिर्फ़ इतना भाग्यशाली रहा कि जब मैं कोई सुखी सपना देख रहा होता हूँ तब दुःख मेरे सिरहाने बैठ कर मेरे जागने का इंतज़ार कर रहा होता है।

अमित 'मौन'


P.C.: GOOGLE


Friday 20 November 2020

प्रेमी

चलते चलते अचानक
रास्ता बदल लोगे
तो भुलक्कड़ लगोगे।

दोस्तों को देखोगे
और मुँह फेर लोगे
हर पल तन्हा रहोगे।

किताबें खोल के बैठोगे
और कुछ नही पढ़ोगे
तो अनपढ़ दिखोगे।

सुबह शाम बिना वजह
किसी भी गली भटकोगे
तुम आवारा बनोगे।

साइकल खड़ी रहेगी
और तुम पैदल चलोगे
वक़्त बर्बाद करोगे।

कितना कुछ कहना होगा
पर चुप ही रहोगे
ऐसे ही गुस्सैल बनोगे।

आँखें बंद रहेंगी
पर सो ना सकोगे
अक़्सर ही बेचैन रहोगे।

किसी एक की ख़ातिर
जब इतना कुछ सहोगे
तब जाकर तुम प्रेमी बनोगे।

अमित 'मौन'

P.C. : GOOGLE


Monday 9 November 2020

कहो कवि अब क्या लिखोगे??

तुमने भूख लिखी

किसी भूखे ने नही पढ़ी
भूखे को रोटी चाहिए कविता नही
कहो रोटी दे सकते हो क्या?

तुमने बेरोजगारी लिखी
वो किसी काम की नही
आदमी को काम और पैसे चाहिए
काग़ज पर छपी कविता नही
कहो काम दे सकते हो क्या?

तुमने व्यंग्य लिखा
पर किसी को हँसी नही आई
सुधार हँसी ठिठोली से नही आते
मिल कर कदम बढ़ाने पड़ते हैं
कहो बदलाव ला सकते हो क्या?

तुमने दर्द लिखा
पर किसी के मन को नही छुआ
सबका दिल दर्द से भरा निकला
यहाँ सबका ज़ख्म हरा निकला
कहो इलाज कर सकते हो क्या?

अच्छा सुनो
लिख सकते हो तो समाधान लिखो
क्योंकि समस्याएं बहुत हैं

लिख सकते हो तो जवाब लिखो
क्योंकि सवाल बहुत हैं

कहो लिख पाओगे क्या??


अमित 'मौन'


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Sunday 1 November 2020

आओ बैठो और बात करो

क्या बात हुई वो बात कहो

आओ बैठो और बात करो
हैं नाज़ुक लब क्यों सिले हुए
अब शिकवों की बरसात करो।

जो बीत गया वो जाने दो
बातों को बाहर आने दो
इस मन का बोझ उतारो भी
कर लो गुस्सा और ताने दो।

यूँ चुप रहने से क्या होगा
घुट कर सहने से क्या होगा
अब कह भी दो ये बिन सोचे
आख़िर कहने से क्या होगा।

जो आज नही तो कल होगी
मिलकर ही मुश्किल हल होगी
बस कोशिश भर की दूरी है
फ़िर साथ ख़ुशी हर पल होगी।

अमित 'मौन'

    
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अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...