Wednesday 22 April 2020

आह

पृथ्वी को चोट पहुँचाने वाली हर त्रासदी की वजह एक आह बनी। आह जिस किसी भी जीव के भीतर से निकली, उसका असर उतना ही भयावह रहा जितना एक बदले की भावना का होता है।

नावों के तलों से घायल हुई मछलियों के आँसू बाढ़ बनकर कितने ही किनारों को निगल गए।

आसमान में शोर करते जहाजों से डरकर जितने भी पक्षियों ने पंख गंवाए उन सभी ने साथ मिलकर उड़ान भरी तो आँधी बनकर सबको अपने साथ उड़ा ले गए।

जंगलों की कटाई से बेघर हुए सभी कीड़ों ने एकजुट होकर ऐसा विष बनाया जो वायरस बनकर कितनों को ज़मीदोज़ कर गया।

अनगिनत लाशों के ढेर पर चढ़कर सम्राट बने हर राजा को उसकी क़ीमत ऐसे ही किसी हमले में हारकर और फ़िर मृत्यु को प्राप्त कर चुकानी पड़ती है।

अमित 'मौन'

Monday 20 April 2020

नाक़ाम यात्रा

जीवनचक्र की अनवरत यात्रा में पथिक को कभी आगे आने वाली कठिनाइयों से अवगत नही कराया गया। मार्ग में आने वाले अवरोधकों को हटाकर उन्होनें दूसरों के लिए रास्ते भी बनाए पर उसका श्रेय कभी उनको दिया नही गया। 

सजीव से लेकर निर्जीव तक सभी अपने लिए तय किये हुए रास्तों से गुजरे। कुछ स्वयं रास्ता बन गए और कुछ किसी और को मंज़िल की तरफ़ बढ़ाने का जरिया बने।
 
तय दूरी तक की यात्रा के पश्चात किसी के हिस्से गुमनामी आयी और कुछ बदक़िस्मती से सिर्फ़ एक माध्यम बन कर रह गए।

स्वादिष्ट फल उनके पूर्वज बीजों द्वारा तय की गयी वो यात्रा है जिसके दौरान वो बीज से पेड़ बने। प्रशंसा कभी भी बीज के हिस्से नही आई।

ताज़महल के गुणगान में सिर्फ़ शाहजहाँ और मुमताज़ को याद किया गया। शिल्पकारों और मजदूरों के योगदान को भुला दिया गया।

वीर गाथा में बखान किए गए योद्धाओं को कभी पता ही नही चला कि उनकी जीवनी से प्रभावित होकर कितने जुझारुओं ने जन्म लिया।

कविता में लिखा जाना किसी की ख़ुशक़िस्मती का सबसे बड़ा प्रमाण हो सकता है पर कविताओं की बदक़िस्मती अक़्सर यही रही कि वो अपने प्रेरणास्रोत तक पहुँचने में नाकाम रही।

अमित 'मौन'

Sunday 12 April 2020

सफ़र

ये ज़िंदगी अगर एक सड़क है तो तुम्हारी यादें इस सड़क पर आने वाले ढेरों अवरोधक। मैंने जितनी बार भी जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश की, तुम उतनी बार गति अवरोधक बन कर मेरे सामने आती रही।

मैंने कितनी बार ही रास्ता बदलने का प्रयत्न किया मगर हर रास्ता मुझे वहीं ले जाता है जहाँ ना जाने के लिए ही मैंने एक अलग रास्ता चुना।

लोग कहते हैं कि मुझे आगे बढ़ने के लिए पिछले सफ़र को भूलना होगा पर मुझे पता है कि इंसान भूलता वही है जिसे याद रखना वो जरूरी नही समझता। 

मैं भला वो सफ़र और हमसफ़र कैसे भूल सकता हूँ जिसने मुझे यहाँ तक पहुंचाया है। कुछ सफ़र हमे मंज़िल तक नही पहुंचाते पर अगले सफ़र के लिए अनुभव जरूर दे जाते हैं।

मैं सफ़र के ऐसे मुक़ाम पर हूँ जहाँ से आगे मैं जाना ही नही चाहता। ये वो चौराहा है जहाँ से तुमने एक अलग रास्ता ले लिया है। अब मुझे भी अपने लिए एक रास्ता चुनना है पर मैं यहीं खड़ा रहना चाहता हूँ। यहाँ खड़े रहकर मुझे ये सुकून मिलता है कि मेरे पास एक रास्ता चुनने की आज़ादी है।

जीवन में किसी भी फ़ैसले को लेकर उत्सुकता और जोश तब तक रहते हैं जब तक आप फ़ैसला नही ले लेते। क्योंकि फैसले के बाद वो सही या गलत की निश्चितता में बंध जाता है। फ़िर यही गलत और सही का फ़ेर सुख और दुःख का कारण बन जाता है। सब कुछ ठहरा हुआ सा लगता है।

मैं भी यहीं ठहर गया हूँ। 
अब मुझे आगे बढ़ना है, 
मैं कोशिश कर रहा हूँ, 
मुझे फैसला लेना है, 
मैं अनुभवी हूँ,
मैं उत्सुक हूँ।

अमित 'मौन'

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अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...