Monday 14 January 2019

विश्वास

विश्वास हमारी गाड़ी में लगे पहिये के मानिंद है..

पहिया जो कि निरंतर चलता रहता है बिना रुके और हम मानते हैं कि वो पहिया पहुंचाएगा हमें हमारी मंज़िल तक और हम बढ़ते जाते हैं उस पहिये के साथ अपने गंतव्य की ओर...

पर वही पहिया अगर एक बार कहीं रास्ते मे पंचर हो गया तो हम उसे ठीक कराने के बाद भी डरे रहते हैं और अपने मन में आने वाले उन विचारों को रोक नही पाते जो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या ये पहिया हमें मंज़िल तक पहुंचाएगा, क्या ये पहिया बिना रुके चल पाएगा...

क्यों? क्योंकि वो पहिया एक बार हमारी उम्मीदों को ध्वस्त कर चुका है...

इसलिए कोशिश कीजिए की उन रास्तों पर जाने की जरूरत ना पड़े जहाँ उस पहिये के पंचर होने का खतरा हो ताकि विश्वास का ये पहिया कभी पंचर ना होने पाए...

अमित 'मौन'

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