घर के सब बच्चों के साथ पूरी मस्ती में जीते थे
मिलता था जब दूध हमे सब नाप नाप के पीते थे
स्कूल से वापस आते ही हम खेलने भाग जाते थे
खाना जब बन जाता तो भैया आवाज़ लगाते थे
पेंसिल अगर खो जाती तो बहुत पिटाई होती थी
चोट अगर लग जाये तो मुझसे ज्यादा मम्मी रोती थी
देर रात तक पापा के आने का करते थे इंतज़ार
कुछ चीज़ मिलेगी आने पर और मिलेगा थोड़ा प्यार
बीत गया वो बचपन अब नहीं रहा वो प्यार
अब मतलब की दुनिया मतलब के सब यार
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