Friday 13 December 2019

कौन यहाँ अब आएगा

दिल है बंजर सूनी बस्ती,
कौन यहाँ अब आएगा
बादल भी जिस घर से रूठे,
बारिश कौन बुलाएगा

उम्मीदों का सूरज डूबा,
अब ना फ़िर से निकलेगा
अँधियारा फैला गलियों में,
रस्ता कौन दिखाएगा

बेचैनी हावी जब ऐसी,
एक पल भी आराम नही
जिसके मन का आँगन सूना,
चैन कहाँ अब पाएगा
 
हँसना रोना जिसके संग हो,
वो ही जब हो दूर हुआ
रग में जिसकी लहू ना दौड़े,
उसको कौन रुलाएगा
 
पलकों के आँचल में आँसू,
जाने कब के सूख गए
आँखों से अश्कों की धारा,
किसके लिए बहाएगा

दिल है बंजर सूनी बस्ती,
कौन यहाँ अब आएगा

कौन यहाँ अब आएगा....

अमित 'मौन'

Image Credit: GOOGLE

Sunday 1 December 2019

स्वप्न या हकीकत

नींद एक दैनिक क्रिया है और स्वप्न उसका परिणाम। अगर हमने कोई स्वप्न देखा है तो इसका सीधा अर्थ ये है कि हम निद्रा लोक में अवश्य गए थे। स्वप्न हमारी सोच से जन्म लेते हैं। जो हम दिन भर में सोचते हैं स्वप्न उन्हें दृश्य के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत कर देते हैं। हम अक्सर कई सपने देखते हैं पर उनका मतलब नही समझ पाते। बीते दिनों मैंने भी कई स्वप्न देखे जिनका मतलब मुझे समझ नही आया पर जब मैंने उनको अपने मस्तिष्क में चलती दिन भर की उथल पुथल और सोच से जोड़ कर देखा तो मुझे कुछ सपनों की सच्चाई समझ में आई। उनमें से कुछ स्वप्न या यूँ कहें दृश्य इस प्रकार थे:-


गाँव में एक आम का पेड़ है जिसमें नए नए फल लगे हैं। फल बड़े हो रहे हैं। कुछ को कच्चा तोड़ लिया गया अचार बनाने के लिए। अचार बन गया उन आमों का दायित्व पूरा हुआ, जो बचे थे उनको पकने के बाद तोड़ा गया, लोगों ने खाया और उस आम का काम भी ख़त्म। अब फ़िर से नए आम आएंगे और अपना दायित्व निभाएंगे। आम आते जाते रहते हैं पर पेड़ वहीं रहता है।
यहाँ पेड़ पृथ्वी है और आम का फल मनुष्य है।

एक गड़रिया हाँकता हुआ ले जा रहा है अपनी भेड़ों को खेतों से दूर और भेड़ें भी चुपचाप चली जा रही हैं ये सोचती हुई कि गड़रिया उनका मालिक है। उन्हें ये नही पता कि गड़रिया उनके ऊन की कमाई खाता है। वो गड़रिये की अन्नदाता हैं।
यहाँ गडरिया समाज है।।

एक पौधा है जिसमें ढेर सारे काँटे लगे हुए हैं। फ़िर कहीं से उसमें एक कली खिलती है। सारे काँटे उसको घेर लेते हैं, फ़िर भी वो कली काँटों को अनदेखा करती हुई खिलती है और ग़ुलाब का फूल बनती है।
यहाँ काँटे परिस्थितियाँ हैं।।

एक खेत है जिसमें सरसों उगी हुई है। सरसों के फूल लगे हुए हैं। पूरा खेत फूलों से लगभग पीला हो चला हैं। रोज हवा चलती है और कुछ फूल गिर जाते हैं। पर फ़िर भी किसान को मालूम है कि मौसम के अंत में उस खेत से सरसों के दाने जरूर मिलेंगे।
यहाँ बचे हुए फूल उम्मीद हैं।।

एक समुद्र है जिसमें ढेर सारी मछलियाँ रहती हैं। कुछ छोटी मछलियाँ कुछ बड़ी मछलियाँ। बड़ी मछलियाँ छोटी मछलियों को दबा के रखती हैं वो ख़ुद को बहुत शक्तिशाली समझती हैं और वो शायद हैं भी शक्तिशाली। पर जैसे ही वो बड़ी मछलियाँ समुद्र से बाहर निकलने की कोशिश करती हैं या बाहर निकलती हैं वो अपनी जान से हाथ धो बैठती हैं।
यहाँ समुद्र का किनारा हद/सीमा है।।

एक बुजुर्ग अपने घर के बाहर बैठा हुआ अपने घर के बाहर लगी नेमप्लेट को देख रहा है। उस नेमप्लेट पर बड़े बड़े अक्षरों में उसका नाम लिखा हुआ है, वो नाम उसे एहसास दिलाता है कि वो उस घर का मालिक है। एक दिन उस बुजुर्ग की मृत्यु हो जाती है। बेटा अंतिम संस्कार करके वापस आता है और उसकी नज़र नेमप्लेट पर पड़ती है। वो अगले ही दिन पुरानी नेमप्लेट बदल कर नई नेमप्लेट लगवाता है जिसमें उसका नाम लिखा हुआ है।
यहाँ नेमप्लेट सच्चाई है।।

अमित 'मौन'

Image Credit: Google

अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...