Friday 14 February 2020

मंदबुद्धि

हर रोज परिवर्तित होती इस दुनिया से सामजंस्य बिठाने में असफल रहते हुए मैं हमेशा मंदबुद्धि की श्रेणी में रहा।

जब दुनिया के सभी ज्ञानी 
ख़ुद को श्रेष्ठ बनाने की प्रक्रिया में व्यस्त थे 
तब मैंने पिछले दरवाजे से निकल कर 
ख़ुद को बचा लिया।

जब सभी ख़रगोश
चीता बनकर दौड़ लगाने आए 
तब मैंने घोड़े की छतरी उतार कर 
कछुए का कवच धारण कर लिया।

पूरी दुनिया को एक संख्या में बाँधकर जब बाकी लोग ब्लैक होल की गहराई नापने चले गए 
तब मैंने अपना वक़्त, 
दिन और रात की सच्चाई जानने में लगाया 
और ये पाया कि 
जागकर काटी गई रातें 
सोकर बितायी रातों की तुलना में 
ज्यादा लंबी होती हैं।

प्रियजनों के साथ बिताया साल 
महीनों से पहले ख़त्म हो जाता है 
और इंतज़ार का एक घंटा 
पूरे दिन से बड़ा होता है।

पृथ्वी के निरंतर घूमते रहने के कारण 
दुनिया का संतुलन हमेशा बिगड़ा रहता है।

बाढ़ और सूखे की लड़ाई में 
मृत्यु हमेशा इंसानों की होती है।

ईश्वर को अपना अस्तित्व बचाये रखने के लिए 
त्रासदियों का सहारा लेना पड़ता है।

ख़ुद को खोजने की प्रक्रिया में 
हम संसार को बेहतर तरीके से जान पाते हैं।

अमित 'मौन'

Sunday 2 February 2020

थाम लिया जो हाथ किसी का

जीवन की भागा-दौड़ी में, प्यार भी करना होता है
पहले प्यार में गलती ना हो, थोड़ा डरना होता है।।

हर लड़की का पहला सपना, सुंदर लड़का होता है
सपना तो है सपना ही, हर सपना सच ना होता है।।

जब वो तुमसे नज़र मिलाए, तुमको हँसना होता है
रस्तों पर चलते चलते ही, तिरछे तकना होता है।।

अगला जब शरमाए थोड़ा, तुमको बढ़ना होता है
जो बातें वो कह ना पाए, तुमको कहना होता है।।

तुम चाहे ना मिलना चाहो, दिल को मिलना होता है
घंटों साथ में बैठे बैठे, बातें करना होता है।।

फ़ोन पे जग का हाल नही बस, तुमको सुनना होता है
डेट पे फ़ैशन कम ही अच्छा, सिंपल लगना होता है।।

सैर का मतलब हाथ पकड़ के, धीरे चलना होता है
शर्म ना कोई पिछड़ापन है, लाज तो गहना होता है।।
 
प्यार में पागलपन ना अच्छा, साथ निखरना होता है
थाम लिया जो हाथ किसी का, साथ ही रहना होता है।।

अमित 'मौन'

अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...