Thursday 30 November 2017

महिला सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी, feel safe with us

बचपन में खेले थे जो खेल हमने भी वो छोड़ दिए
लड़का लड़की का फर्क बता के तुमने ही रिश्ते तोड़ दिए
बेटी हो कुछ तो शर्म करो बस लाज तुम्हारा गहना है
ऐसा हमने कहा नही ये घरवालो का ही कहना है
हम तो होतें है निश्छल सब यहीं सिखाया जाता है
नर और नारी में अंतर है ये हमे बताया जाता है
कोमल है नारी पता हमे बनके भाई रक्षा करते हैं
पति कभी और पिता कभी प्यार भी सच्चा करते हैं
ये तो नियम विधाता का कुछ पैदा राक्षस भी होते हैं
रावण मिलता है अगर कभी तो राम कृष्ण भी होते हैं
ज्यादा कुछ कहना नही हमे बस विनती यही हमारी है
थोड़ा सा बस विश्वास रखो क्योंकि दोस्त, बीवी, बहन और माँ हर रूप में आपकी रक्षा की हमने ली जिम्मेदारी है।।

Saturday 25 November 2017

थोड़ा बेटों से भी प्यार जताओ, beta

बेटियां प्यारी है उनपे प्यार लुटाओ
पर बेटों पे भी यूँ ना ऊँगली उठाओ

उम्मीदों की गठरी लिए फिरता है बेटा
बताता भी नही अगर कहीं गिरता है बेटा
जिंदगी की कश्मकश में उलझा है बेटा
पर चेहरे का भाव कहे कितना सुलझा है बेटा
बचपन में भले ही माँ का दुलारा है बेटा
पर वक़्त आया तो घर का सहारा है बेटा
वक़्त से पहले पहले बड़ा हो जाता है बेटा
देश के लिए सीमा पर खड़ा हो जाता है बेटा

कुछ लोगों के खातिर हर बेटे को न गलत बताओ
कभी तो शाबाशी देके थोड़ा बेटों से भी प्यार जताओ

Tuesday 21 November 2017

I proud to be a man, वो लड़का

माँ के लिए सबसे लड़ जाता वो लड़का
पिता के कामों में मदद को आता वो लड़का
बहन को दुनिया से बचाता वो लड़का
छोटे भाई को दुनिया दिखाता वो लड़का
महबूबा को बाइक पे घुमाता वो लड़का
पत्नी के सम्मान को सबसे लड़ जाता वो लड़का
बच्चों की ख़ुशी के लिए जी जान लगाता वो लड़का

सारी उम्र अपनों की खातिर ही जीता रहा
अपने लिए कहाँ कुछ कर पाता वो लड़का👨👨
          I Proud to be a man

Saturday 18 November 2017

बीत गया वो बचपन , beet gaya wo bachpan

घर के सब बच्चों के साथ पूरी मस्ती में जीते थे
मिलता था जब दूध हमे सब नाप नाप के पीते थे

स्कूल से वापस आते ही हम खेलने भाग जाते थे
खाना जब बन जाता तो भैया आवाज़ लगाते थे

पेंसिल अगर खो जाती तो बहुत पिटाई होती थी
चोट अगर लग जाये तो मुझसे ज्यादा मम्मी रोती थी

देर रात तक पापा के आने का करते थे इंतज़ार
कुछ चीज़ मिलेगी आने पर और मिलेगा थोड़ा प्यार

बीत गया वो बचपन अब नहीं रहा वो प्यार
अब मतलब की दुनिया मतलब के सब यार

Monday 13 November 2017

कॉलेज की मस्ती, college ki masti

वो कालेज की मस्ती, वो बस की सीटे
वो सड़को पे उड़ाना, पानी की छीटें 

वो दोस्तों की पार्टी, वो लम्हे रंगीन थे
वो क्लास बंक करना, वो जुर्म संगीन थे

अब फोन की घंटी और फाइल का ढेर है
ऑफिस एक जंगल है, बॉस मेरा शेर है

वो बचपन के दिन, वो जवानी की मस्ती
बड़े होने की कीमत दी है, मिटायी अपनी हस्ती





    

अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...