इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है
क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था
झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं
और कविता है कि हर पंक्ति के बाद अधूरी लगती है
दुनिया ईर्ष्या में सम्मोहित होकर दानव हो गई
पर तुमने हृदय को लक्ष्मण रेखा में सुरक्षित रखा
इन दो आँखों से कोई कितना देख पाता
तुमने क्या देखा कि आँखें बंद कर ली
कुछ खोजना मतलब कुछ खो जाने की चिंता करना है
मैं तुम में खुशियाँ ढूंढ़ता रहा और तुम ख़ुशियों में मुझे
फ़िर ना ही तुम मिली और ना ही ख़ुशियाँ
मेरा जीवन एक कैनवस था
और तुम्हारे हाथों में रंगों की बाल्टियाँ
मुझे प्रेम में फूल होना था
और तुम्हें तितलियों का जीवन जीना था
मेरा वो हर सपना अजीज था जिसमें तुम थी
पर हर नींद को एक सुबह से मिलना था
अब तुमने जो बताया उससे जीवन जीता हूँ
और तुमने जो सिखाया उससे कविता लिखता हूँ
अब जीवन एक कविता है और कविता में पूरा जीवन...
अमित 'मौन'