Friday, 17 March 2023

जीवन


क्या हो जो जीवन किसी पटरी पर चले

क्यों ना सुख दुःख निर्धारित मात्रा में मिले


संघर्ष इतना कि साहस जवाब ना दे

और आराम इतना कि शरीर बोझ ना बने


ज्ञान इतना कि सही गलत में फ़र्क लगे

अज्ञानता इतनी की जीवों में समानता दिखे


मुस्कान ऐसी की मन में कटुता ना रहे

और आँसू ऐसे की आँखों से निश्छलता बहे


सुख इतना कि मन में बस भक्ति जगे

और दुःख इतना कि जीवन श्राप ना लगे।


अमित 'मौन'

P.C.: GOOGLE



6 comments:

  1. संघर्ष इतना कि साहस जवाब ना दे

    और आराम इतना कि शरीर बोझ ना बने
    वाह!!!
    क्या बात...
    लाजवाब सृजन👌👌

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (१९-०३-२०२३) को 'वृक्ष सब छोटे-बड़े नव पल्लवों को पा गये'(चर्चा अंक -४६४८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. हार्दिक आभार आपका🙏

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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जीवन

क्या हो जो जीवन किसी पटरी पर चले क्यों ना सुख दुःख निर्धारित मात्रा में मिले संघर्ष इतना कि साहस जवाब ना दे और आराम इतना कि शरीर बोझ ना बने ...