सुबह की पीली रोशनी सी तेरी चमक दिल में सवेरा कर जाती है
चाय की पहली घूंट सी तेरी आँखें सीधे दिल में उतर जाती है
होठों से माथे को चूमना एक नया एहसास जगाता है
प्यार से उठाना तेरा मुझे फिर बिस्तर पे कहाँ रहा जाता है
तैयार ऐसे करती हो मुझे जैसे प्यारा सा बच्चा हूँ तुम्हारा
मैं शरारती तुम समझदार बस कुछ ऐसा रिश्ता है हमारा
भेज तो देती हो रोज खुद से दूर पर परेशान दिन भर रहती हो
रोक लेना चाहती हो पास मुझे पर खामोश ही रहती हो
शाम का इंतज़ार ऐसा जैसे काली रात में होगा चाँद का दीदार
बस इतनी सी कहानी अपनी जहाँ मैं तुम और ढेर सारा प्यार
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