देखे हैं हमने भी कई रंग दुनिया के
बदलते तौर तरीके और ढंग दुनिया के
इस इंद्रधनुष में शामिल खुद को किया है
कुछ इस तरह हमने जिंदगी को जिया है
टूटे ख़्वाब बिखरे अरमान कई बार
रुके कदम हुई थकान कई बार
अपने ज़ख्मों को फिर हौसलों से सिया है
कुछ इस तरह हमने जिंदगी को जिया है
किये जो जुर्म नही उनकी भी सजा पायी है
ये जिंदगी रोने के कई बहाने लायी है
आंसुओं के झरनों को कई बार पिया है
कुछ इस तरह हमने जिंदगी को जिया है
बीते हसीन लम्हे भी जिनमे अपने थे पास
थी खुशियां हजार और खूबसूरत एहसास
हूँ शुक्रगुजार खुदा का जो ये जीवन दिया है
कुछ इस तरह हमने जिंदगी को जिया है
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