Monday 18 June 2018

तुम और चाय...भाग-2

पिछला भाग पढ़ने के लिये इस लिंक पर:
https://poetmishraji.blogspot.com/2018/03/blog-post_24.html 

सुनी मैंने तुम्हारी चाय और वो बातें...
हाँ  मुझे  तो  सब  कुछ  याद है
वो  चाय  और  अपनी  वो  सारी  बातें
पर शायद तुम कुछ भूल रहे हो
चाय के बहाने अपनी हसीन मुलाकातें...

कैसे  भूल  सकती  हूँ   उन  पलों  को
उन  लम्हों  को  जिनमें  थी  चाय की  मिठास
हाथ में चाय लिये एक दूजे को तकना
आज भी सुकून देता है उस प्यार का एहसास.....

तुमने  कई  बार  पूछा  था
हम  क्यों सिर्फ  चाय पे मिलते हैं
बगल में कॉफी शॉप भी है
हम क्यों नही कभी वहाँ चलते हैं...

गर्म  चाय  की  चुस्कियाँ  लेते  हुए
मैं अक्सर  तुम्हारी बात  टाल जाती थी
तुम हर बार नई जगह तलाशते थे
पर मैं चाय की उसी दुकान पे आती थी..

माना तुम्हारी  बेकरारी ज्यादा थी
तुम  समय से  पहले  पहुँच  जाते थे
फिर अकेले  बैठ के घड़ी निहारते
जाने क्यों बेवजह मुझपे चिल्लाते थे...

वो बिस्कुट की बहस को कैसे भूल गये
मैं अपना गुड डे और तुम मोनैको मँगाते थे
हँसी आती थी तुम्हारा अंदाज़ देखकर
तुम बच्चों की तरह चाय में डुबा के खाते थे...

हाँ मिलने की जल्दी मुझे भी होती थी
कुछ तलब चाय की  कुछ नशा तुम्हारा था
मैं  चीनी सी मीठी तुम अदरक से तेज
एक कड़क चाय के जैसा रिश्ता हमारा था...

पुरानी  बातों  का  जिक्र  जो  कर ही  लिया है
तो चलो एक बार फिर उन्ही लम्हों को जीते हैं
मैं लाल लिबास में आऊँगी तुम जल्दी पहुँचना
चलो फिर से  दोनों उसी दुकान पे चाय पीते हैं...

उन पुरानी यादों को उन पलों को एक बार फिर से जियेंगे
कुछ नया करते हुए आज एक ही कप में दोनों चाय पियेंगे.

तो फिर चलें चाय पीने....☕️☕️

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