हो बात अगर बस ख्याति की
मैं ख़ुद ही पीछे हो जाऊं
विख्यात बनो तुम अमर रहो
मैं इतिहास बनूँ और खो जाऊं
तुम बनो देवता मंथन में
मैं नाग वासुकी हो जाऊं
हो अमृत तेरे हिस्से में
मैं कालकूट सा विष पाऊं
तुम त्रेता के रावण होना
मैं कुम्भकर्ण ही हो जाऊं
तुम बड़े बनो और आज्ञा दो
मैं प्राण पखेरू ले आऊं
तुम द्वापर के अर्जुन होना
मैं एकलव्य ही हो जाऊं
तुम बनो धनुर्धर इस युग के
हँस के अँगूठा ले आऊं
तुम राम रहो या कृष्ण बनो
मैं शेषनाग सा हो पाऊं
हो नाम तुम्हारा हर युग में
मैं साथ निभाने आ जाऊं
अमित 'मौन'
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