विडंबना:
एक इंसान के लिए सबसे ज़्यादा मुश्किल काम है उदासी में किसी अपने के ''क्या हुआ ??'' पूछने पर ''कुछ नही'' वाला जवाब देना...
वो भी उस पल में जब आपका दिल सीने से निकल कर आपकी सांसों को आज़ाद कर देना चाहता हो..
आँखें हर बाँध तोड़कर बह जाना चाहती हों..
पैरों में खड़े होने भर की ताकत भी ना बची हो..
और बाजुएं किसी के कंधे से लिपट कर आपके होंठों से ये कहलवाना चाहती हों कि..
सुनो...मैं ठीक नही हूँ....
और इस दुनिया की सबसे बड़ी विडंबना है कि आपका वो अपना जो आपके इस हाल को जानने के बाद भी आपके ''मैं ठीक हूँ'' वाली बात पर आपको ये एहसास दिलाए की उसने मान लिया है कि 'आप ठीक हैं''.......
अमित 'मौन'