Thursday, 30 May 2019

प्रेम की तलाश

आकर्षण का पहला पड़ाव पार कर के पुरुष ढूंढ़ता है
अपनी प्रेमिका में मातृत्व का अनोखा स्पर्श..
वो देखना चाहता है उसकी आँखों में वही पीड़ा, वही आँसू
जो चोट लगने पर उसने देखे थे अपनी माँ की आँखों में..
वो उम्मीद रखता है अपनी प्रेमिका से उसी समझ की
जो बिना कहे समझे उसके मन की हर बात...

वो उसके साथ होकर हर फ़िक्र भूलकर फिर से मासूम होना चाहता है....
 

दिल हारने के पश्चात स्त्रियाँ तलाश करती हैं
अपने प्रेमी के अंदर छुपे उस एहसास को
जिसे पाकर वो ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर सकें..
ठीक उसी प्रकार जैसे एक पिता के साथ होने मात्र से
असुरक्षा की हर भावना मन मस्तिष्क में प्रवेश करने से कतराए...

वो उसके साथ होकर बेफ़िक्री का सुकून चाहती है

सांसारिक सुखों और मोह से परे जब दोनों की ये तलाश पूरी होती है तब जन्म होता है वास्तविक प्रेम और आत्मीय मिलन का...
जिसकी अनुभूति मात्र ही प्रेरित करती है एक पूरा जीवन प्रेम को समर्पित करने के लिए.....

अमित 'मौन'
 

7 comments:

  1. बिलकुल सही आंकलन ,बेहतरीन रचना ..,सादर नमस्कार

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01 -06-2019) को "तम्बाकू दो छोड़" (चर्चा अंक- 3353) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….
    अनीता सैनी

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  3. हार्दिक आभार आपका

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  4. वाह बहुत सुन्दर व्याख्या गहरी सोच और अन्वेषण का परिणाम।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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