Monday 13 May 2019

एक लड़की प्यारी ...

एक लड़की प्यारी  सुंदर परियों  के जैसी
ना जाने क्यों वो बस मुझ पर ही मरती है

मैं टूटा बिखरा  ख़ुद में खोया रहता हूँ
वो उसपे भी मुझको खोने से डरती है

ख़ामोशी  मेरी  बस  वो ही  पढ़ पाती है
फ़िर आँखों से जी भर के बातें करती है

मैं  अक़्सर  ही  देरी  करता  हूँ  आने में
पर बिन शिकवों के राह मेरी वो तकती है

कुछ लोगों ने  तोड़ा  दिल मेरा  टुकड़ों में
और हर हिस्से में बस वो ही अब रहती है

मैं ख़ुद को जब भी तन्हा माना करता हूँ
संसार मेरा  तुम ही हो  मुझसे  कहती है

हर बला मेरी  वो  अपने  सर  लेना चाहे
हर दुआ में अपनी नाम मेरा ही रखती है

अब सांस उसी के दम से आती है मेरी
बन लहू मेरी  रग रग में वो ही बहती है

अमित 'मौन'

10 comments:

  1. वाह बहुत सुंदर

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/05/2019 की बुलेटिन, " भई, ईमेल चेक लियो - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. प्यारी लड़की की प्यारी कविता...

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  4. क्या कहने, बहुत सुंदर
    आपको पढना वाकई सुखद अनुभव है।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  5. वाआआआआह बहुत खूब...

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