विडंबना:
एक इंसान के लिए सबसे ज़्यादा मुश्किल काम है उदासी में किसी अपने के ''क्या हुआ ??'' पूछने पर ''कुछ नही'' वाला जवाब देना...
वो भी उस पल में जब आपका दिल सीने से निकल कर आपकी सांसों को आज़ाद कर देना चाहता हो..
आँखें हर बाँध तोड़कर बह जाना चाहती हों..
पैरों में खड़े होने भर की ताकत भी ना बची हो..
और बाजुएं किसी के कंधे से लिपट कर आपके होंठों से ये कहलवाना चाहती हों कि..
सुनो...मैं ठीक नही हूँ....
और इस दुनिया की सबसे बड़ी विडंबना है कि आपका वो अपना जो आपके इस हाल को जानने के बाद भी आपके ''मैं ठीक हूँ'' वाली बात पर आपको ये एहसास दिलाए की उसने मान लिया है कि 'आप ठीक हैं''.......
अमित 'मौन'
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteकहो उसी से जो कहे न किसी से, मांगो उसी से जो दे दे ख़ुशी से..और ऐसा तो एक वही है..उससे दोस्ती बनाकर रखनी चाहिए
ReplyDeleteजी बिल्कुल सही कहा आपने...धन्यवाद आपका
Deleteहार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteबहुत ही गहरा विवेचन सटीक और सत्य ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका
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