किसी दिन सहसा ही
एक अंधेरे कमरे में
मौन हो जाएगी
मेरी आवाज
रुक जाएगी मेरी सांसें
मेरी देह परिवर्तित हो जाएगी
एक मृत शरीर में
मेरी आत्मा को
निष्काषित कर दिया जाएगा
इस नश्वर शरीर से
जब देह विलीन हो जाएगी
इसी मिट्टी में
और आत्मा कूच कर जाएगी
अपने लोक की ओर
तब कहीं नही बचूँगा मैं
और नही रहेगा
मेरा कोई निशान
पर मेरा अस्तित्व
बचा रह जाएगा
मेरी कविताओं में
रह जाएगी मेरी प्रेम कविता
जिसे हर प्रेमी सुनाएगा
अपनी प्रेयसी को
सभी देवदास
चीख चीख कर पढ़ेंगे
मेरी विरह की कविता
और हौसला देंगी
मेरी कविताएं
जिनमें जज़्बा होगा
कुछ कर गुजरने का
पर कोई नही पढ़ेगा
मेरी आख़िरी कविता
मेरे सिरहाने पड़ी
मेरी अधूरी कविता
कविता जिसमें
नही होगा कोई रस
कविता जिसमें होगा
मेरा सच
मेरी तरह ही शापित
जन्म लेते ही मार दी जाएगी
मेरे साथ मेरी कविता
अमित 'मौन'
Image Source- Google
एक अंधेरे कमरे में
मौन हो जाएगी
मेरी आवाज
रुक जाएगी मेरी सांसें
मेरी देह परिवर्तित हो जाएगी
एक मृत शरीर में
मेरी आत्मा को
निष्काषित कर दिया जाएगा
इस नश्वर शरीर से
जब देह विलीन हो जाएगी
इसी मिट्टी में
और आत्मा कूच कर जाएगी
अपने लोक की ओर
तब कहीं नही बचूँगा मैं
और नही रहेगा
मेरा कोई निशान
पर मेरा अस्तित्व
बचा रह जाएगा
मेरी कविताओं में
रह जाएगी मेरी प्रेम कविता
जिसे हर प्रेमी सुनाएगा
अपनी प्रेयसी को
सभी देवदास
चीख चीख कर पढ़ेंगे
मेरी विरह की कविता
और हौसला देंगी
मेरी कविताएं
जिनमें जज़्बा होगा
कुछ कर गुजरने का
पर कोई नही पढ़ेगा
मेरी आख़िरी कविता
मेरे सिरहाने पड़ी
मेरी अधूरी कविता
कविता जिसमें
नही होगा कोई रस
कविता जिसमें होगा
मेरा सच
मेरी तरह ही शापित
जन्म लेते ही मार दी जाएगी
मेरे साथ मेरी कविता
अमित 'मौन'
Image Source- Google