हम दुःखों से घिरे होते हैं पर दिन नही कटते
हम नींद में होते है और दिन बदल जाते हैं।
हम मिन्नतें करते हैं पर बारिश नहीं होती
हम उदास बैठते हैं बादल चले आते हैं।
आँधियाँ ज़ोर लगाती हैं पत्ते नही गिरते
मौसम बदलता है पत्ते गिर जाते हैं।
कुछ ज़ख़्मों पर दवा असर नही करती
कुछ घाव बिना दवा के सूख जाते हैं।
हम दुनिया से लड़ते हैं पर ख़ुद को नही बदलते
हम प्रेम में होते हैं और हम बदल जाते हैं।
कुछ बदलाव वक़्त के साथ आते हैं
और हमें लगता है लोग बदल जाते हैं।
अमित 'मौन'
बहुत अच्छे अशआर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 12 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteवाह
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
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