क्या बात हुई वो बात कहो
आओ बैठो और बात करोहैं नाज़ुक लब क्यों सिले हुए
अब शिकवों की बरसात करो।
जो बीत गया वो जाने दो
बातों को बाहर आने दो
इस मन का बोझ उतारो भी
कर लो गुस्सा और ताने दो।
यूँ चुप रहने से क्या होगा
घुट कर सहने से क्या होगा
अब कह भी दो ये बिन सोचे
आख़िर कहने से क्या होगा।
जो आज नही तो कल होगी
मिलकर ही मुश्किल हल होगी
बस कोशिश भर की दूरी है
फ़िर साथ ख़ुशी हर पल होगी।
अमित 'मौन'
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार 3-11-2020 ) को "बचा लो पर्यावरण" (चर्चा अंक- 3874 ) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार आपका
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया आपका
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteधन्यवाद आपका
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