तुमने भूख लिखी
किसी भूखे ने नही पढ़ीभूखे को रोटी चाहिए कविता नही
कहो रोटी दे सकते हो क्या?
तुमने बेरोजगारी लिखी
वो किसी काम की नही
आदमी को काम और पैसे चाहिए
काग़ज पर छपी कविता नही
कहो काम दे सकते हो क्या?
तुमने व्यंग्य लिखा
पर किसी को हँसी नही आई
सुधार हँसी ठिठोली से नही आते
मिल कर कदम बढ़ाने पड़ते हैं
कहो बदलाव ला सकते हो क्या?
तुमने दर्द लिखा
पर किसी के मन को नही छुआ
सबका दिल दर्द से भरा निकला
यहाँ सबका ज़ख्म हरा निकला
कहो इलाज कर सकते हो क्या?
अच्छा सुनो
लिख सकते हो तो समाधान लिखो
क्योंकि समस्याएं बहुत हैं
लिख सकते हो तो जवाब लिखो
क्योंकि सवाल बहुत हैं
कहो लिख पाओगे क्या??
अमित 'मौन'
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (१०-११-२०२०) को "आज नया एक गीत लिखूं"(चर्चा अंक- 3881) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteवाहः
ReplyDeleteलिख सकते हो तो समाधान लिखो
क्योंकि समस्याएं बहुत हैं
लिख सकते हो तो जवाब लिखो
क्योंकि सवाल बहुत हैं
शानदार लेखन
बेहद शुक्रिया आपका
Deleteपहली बार किसी ने कवि से सटीक बात कही है - लिख सकते हो तो समाधान लिखो। वाह! बहुत अच्छा लगा पढ़ कर। हम हमेशा बुद्धिजीवी कवियों से यह कहना चाहते हैं, आपने कितने सटीक शब्दों में कह दिया।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteहार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया आपका
ReplyDeleteयही कटु सत्य है। समस्याओं पर लिख देने से समस्याएँ खत्म नहीं होती हैं। काम करना पड़ता है।
ReplyDeleteजी सही कहा आपने... धन्यवाद
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