लम्हों की लड़ी है ये जीवन
और तुम यादों का अनोखा संसार
कुछ तो अलग है तुम्हारी छुअन में
जो लहू को ताजा कर जाता है
कोई दूसरी दुनिया है तुम्हारा साथ
जहाँ हँसने से उजाला होता है
तुम्हारे होने भर से समय रुक जाता है
घड़ियों की चाल बदल सकती हो तुम
जादू कोई कला नहीं एक सोच भर है
मुझे हँसा कर करिश्मों में यकीन बढ़ाती हो
उदासियाँ श्राप से मिलती होंगी
और आशीर्वाद का फल हो तुम
हवाएं मुट्ठी में भर कर साँसें बांटती हो
ईश्वर की भेजी एक चिट्ठी हो तुम
पहचान छुपाता बहुरूपिया हूँ मैं
और जीवन की जमापूँजी बस तुम
अमित 'मौन'
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०२-०४-२०२३) को 'काश, हम समझ पाते, ख़ामोश पत्थरों की ज़बान'(चर्चा अंक-४६५२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
तुम्हारे होने भर से समय रुक जाता है
ReplyDeleteघड़ियों की चाल बदल सकती हो तुम
बेहतरीन शब्द विन्यास...उम्दा रचना...🙏🙏🙏
कोई दूसरी दुनिया है तुम्हारा साथ
ReplyDeleteजहाँ हँसने से उजाला होता है
तुम्हारे होने भर से समय रुक जाता है
घड़ियों की चाल बदल सकती हो तुम
...बहुत खूब!