Sunday 9 December 2018

अमावस

देख  अमावस  डर  के  मारे
सोया चाँद और छुप गए तारे

छोड़ छाड़ के दाना तिनका
पंछी आ  गए  घर को  सारे

सूनी सड़कें चुप चौराहे
तन्हाई से  हम भी  हारे

वही है रातें  वही नज़ारे
बिना तुम्हारे दुश्मन सारे

सिकुड़ी चादर गीला तकिया
फिर  यादों  ने  पांव  पसारे

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