जाते हुए तुमने कहा था कि मेरी आँखों से सिर्फ़ दो बूँदें ही तो छलकी हैं इसका मतलब मुझे बिछड़ने का उतना दुःख नही है जितना तुम्हे है। काश मैं तुम्हें ये बता पाता कि हाथ कटने पर ख़ून की एक बूँद गिरे या पूरी धार बहे दर्द उतना ही होता है।
जीवन कितना आसान होता अगर आँसू रोकने और दर्द सहने की क्षमता हर इंसान में बराबर होती। हर कोई एक जैसा चीखता और हर कोई उतना ही रोता। पर अफ़सोस कि जीवन ऐसा नही है।
कभी कभी मैं भी आख़िरी बार रोना चाहता हूँ और इतना रोना चाहता हूँ कि आँसुओं की धार में सारे दुःख, दर्द, तकलीफ़ और यादें सब बह जाएं। मैं आँसुओं के ख़त्म हो जाने तक रोते रहना चाहता हूँ। पर मैं जानता हूँ आख़िरी बार रोने जैसा कुछ नही होता। एक बार रो लेने के बाद दोबारा रोना न आए ऐसा नही हो सकता। आँसू कभी सूखते नही बस जम जाते हैं और यादों की गर्मी मिलते ही फ़िर बहने लगते हैं।
जीवन कितना आसान होता अगर हम भावनाओं पर नियंत्रण रख सकते। किसी के पास आने और किसी के दूर जाने पर हमें क्या और कितना सोचना है इन सब पर हम क़ाबू रख पाते तो कितना अच्छा होता। पर जो अपने मन मुताबिक चले वो जीवन कैसा।
ख़ैर, मेरे मन की चंचलता ख़त्म हो गयी है, इच्छाओं ने आत्महत्या कर ली है और नींदों ने मुझे अकेला छोड़ दिया है। इन सब के बावजूद मेरी पलकें बाँध बनकर खारे पानी को रोके हुए हैं।
दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है जिसका हम सिर्फ़ अंदाज़ा लगाते हैं पर सच्चाई उससे बिल्कुल अलग होती है। ठीक वैसे ही जैसे तुमने मेरे दुःख का अंदाज़ा लगाया था।
मैं कभी कभी सोचता हूँ कि काश कुछ ऐसा अविष्कार हो जाए जिससे हम दुःख को नाप सकें और सुख को बाँध सकें। फ़िर शायद दुनिया को जीने की ज्यादा वजहें मिल पाएंगी।
अमित 'मौन'
काश कि ऐसा हो पाता । न सोचों पर नियंत्रण होता है न आँसुओं पर ।
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति ।👌👌👌
हार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteकाश...
ReplyDeleteसादर...
धन्यवाद आपका
Deleteहार्दिक आभार आपका
ReplyDelete"काश कुछ ऐसा अविष्कार हो जाए जिससे हम दुःख को नाप सकें और सुख को बाँध सकें। फ़िर शायद दुनिया को जीने की ज्यादा वजहें मिल पाएंगी।"
ReplyDeleteकाश! ऐसा होता तो किसी को भी अपना दर्द ज्यादा और दुसरे का कम नहीं लगता।मन के भावों की मार्मिक अभिव्यक्ति, सादर
जी हार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteजीवन कितना आसान होता अगर हम भावनाओं पर नियंत्रण रख सकते। किसी के पास आने और किसी के दूर जाने पर हमें क्या और कितना सोचना है इन सब पर हम क़ाबू रख पाते तो कितना अच्छा होता। पर जो अपने मन मुताबिक चले वो जीवन कैसा।
ReplyDeleteकाश कि ऐसा हो पाता....😒😒
काश कुछ ऐसा अविष्कार हो जाए जिससे हम दुःख को नाप सकें और सुख को बाँध सकें। फ़िर शायद दुनिया को जीने की ज्यादा वजहें मिल पाएंगी।"
काश कि ऐसे यंत्र का अविष्कार हो पाता तो सच में जीना बहुत ही पहचान और सुखद हो जाता! ना ही कोई खुशफहमी के बीच जीता और ना ही गलतफहमी हो के बीच...!
काश कि....
धन्यवाद आपका
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ReplyDeleteसिर्फ अपने विषय में सोचे तो अपना ही दुख ज्यादा दिखता है दूसरों की तकलीफ का अंदाजा लगाने के लिए हमें स्व से बाहर निकलना होता है।आँसुओं से दुख सुख का अंदाजा लगाना व्यर्थ ही है मैंने ऐसे भी लोग देखे हैं जिनके आँसू वाकई खत्म हो गये...पर खुशी से नहीं बेइतहां दुख से।
ReplyDeleteजी बेहद शुक्रिया आपका
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