Sunday 19 December 2021

उम्मीद

भीतर एक अजीब सा सन्नाटा है इन दिनों। जैसे मन किसी कोठरी में कैद हो और अँधेरा इतना कि हवाएं भी रास्ता ना खोज पाएं। हाल कुछ ऐसा है कि चीखने की इच्छा है मगर आवाज़ नही। रोने को आँखें है मगर आँसू नही। कहने को बहुत कुछ है पर सुनने को कोई नही और जीने को सांसें हैं मगर जीवन नही।

अक्सर ऐसा होता है कि जब हम बहुत कुछ खो देते हैं तब हमारे अंदर पाने की लालसा मर जाती है। ये समय ऐसा होता है कि हम जीने का मकसद ही खो देते हैं। लड़ने की हिम्मत होते हुए भी हम हथियार जमीन पर रख देते हैं। लड़ने का मजा तब तक ही है जब तक जीतने की जिद जिंदा हो। पर जब मन हार मान ले तो शरीर को युद्ध में भेजने का कोई फ़ायदा नही।

मृतक सिर्फ वो नही जिसकी साँसें ख़त्म हो गयी हों। मरा हुआ वो भी है जिसके जीवन का कोई उद्देश्य ना हो।

सुना है जब शरीर बोझ बन जाए तो साँसें बहुत जल्दी साथ छोड़ देती हैं। पर कुछ तो है जो ये डोर टूटने नही दे रहा और मैंने उस कुछ को उम्मीद का नाम दे दिया है।

क्योंकि एक उम्मीद ही है जो इंतज़ार की उम्र लम्बी कर सकती है।


अमित 'मौन'


P.C.: GOOGLE


14 comments:

  1. कशमकश है जिंदगी की। बखूबी बयाँ किया है आपने।

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  2. सही कहा बस उम्मीद !!!
    और ये उम्मीद ही है जो हारकर भी हारने नहीं देती मर कर भी जिंदा रखती है...
    लाजवाब।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (20-12-2021 ) को 'चार दिन की जिन्दगी, बाकी अंधेरी रात है' (चर्चा अंक 4284) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  4. बेहतरीन भावाव्यक्ति।

    सादर।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  5. बेहतरीन रचना

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    1. जी धन्यवाद आपका

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    2. स्कारात्मक सोच का बीजवपन करती खूबसूरत सचित्र अभिव्यक्ति ।हार्दिक बधाई और आभार । इस चित्र को मैं फ़ेस बुक पर सांझा करने जा रहा हूँ।

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    3. जी धन्यवाद आपका

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  6. उत्प्रेरक अभिव्यक्ति , साधुवाद अमित मौन

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    1. जी धन्यवाद आपका

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