Saturday 1 April 2023

जमापूँजी

 लम्हों की लड़ी है ये जीवन

और तुम यादों का अनोखा संसार 

कुछ तो अलग है तुम्हारी छुअन में

जो लहू को ताजा कर जाता है


कोई दूसरी दुनिया है तुम्हारा साथ

जहाँ हँसने से उजाला होता है

तुम्हारे होने भर से समय रुक जाता है

घड़ियों की चाल बदल सकती हो तुम


जादू कोई कला नहीं एक सोच भर है

मुझे हँसा कर करिश्मों में यकीन बढ़ाती हो

उदासियाँ  श्राप  से  मिलती  होंगी

और आशीर्वाद  का  फल  हो  तुम


हवाएं मुट्ठी में भर कर साँसें बांटती हो

ईश्वर की  भेजी एक चिट्ठी हो तुम

पहचान छुपाता बहुरूपिया हूँ मैं

और जीवन की जमापूँजी बस तुम


अमित 'मौन'


P.C.: GOOGLE


3 comments:


  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०२-०४-२०२३) को 'काश, हम समझ पाते, ख़ामोश पत्थरों की ज़बान'(चर्चा अंक-४६५२) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. तुम्हारे होने भर से समय रुक जाता है

    घड़ियों की चाल बदल सकती हो तुम

    बेहतरीन शब्द विन्यास...उम्दा रचना...🙏🙏🙏

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  3. कोई दूसरी दुनिया है तुम्हारा साथ
    जहाँ हँसने से उजाला होता है
    तुम्हारे होने भर से समय रुक जाता है
    घड़ियों की चाल बदल सकती हो तुम
    ...बहुत खूब!

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