गंभीर हालात में विशेष टिप्पणी देने आते हैं
कोई भी हो मुद्दा महाशय सबकी जानकारी बढ़ाते हैं
आपकी सुनते नही और खुद को सलाहकार बताते हैं
जरा सा भाव दिया इन्हें तो मक्खी सा चिपक जाते हैं
इन्हें लगता है शायद ये हमारी समस्या सुलझाते हैं
खुद को हो दिक्कत जरा सी तो पागल हो जाते हैं
मुश्किलों के भंवर में तिनकों से उड़ जाते हैं
अंदर से हैं खोखले पर ये शोर ज्यादा मचाते हैं
बिखरे हैं टुकड़ो में खुद को समेट नही पाते है
ये वही लोग हैं जो हमे जीने का सलीका सिखाते हैं
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