Monday 1 January 2018

Har wo baat likhte hain

कुछ अपनी दास्तान कुछ अनकहे जज्बात लिखते हैं
हम अपनी शायरी में हर वो बात लिखते हैं

कुछ हसीन लम्हे कुछ अधूरी मुलाकात लिखते है
हम अपनी शायरी में हर वो बात लिखते हैं

कुछ दिन सुकून के कुछ दर्द भरी रात लिखते है
हम अपनी शायरी में हर वो बात लिखते हैं

कुछ बदमाशियां उनकी कुछ अपनी खुराफात लिखते हैं
हम अपनी शायरी में हर वो बात लिखते हैं

कुछ दूरियां दरमियां पर हर पल उनके साथ लिखते हैं
हम अपनी शायरी में हर वो बात लिखते हैं

No comments:

Post a Comment

अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...