लाख आवाज लगाते रहें बुलाने वाले
लौटकर फिर नहीं आते कभी जाने वाले
एक अरसा गुजर गया इंतज़ार में उनके
खुद को बिसराया था प्यार में जिनके
अब वही रुलाते हैं जो थे कभी हँसाने वाले
लौटकर फिर नहीं आते कभी जाने वाले
सुबह शाम गुजरती थी बाँहों में जिनकी
अब तो बस यादें रहती हैं पास उनकी
जाने कहाँ गये दो दिलों को मिलाने वाले
लौटकर फिर नहीं आते कभी जाने वाले
खिलती थी नाम से जिनके दिल की हर कली
जिनके आने से हमको हर ख़ुशी थी मिली
जाने कहाँ गए मोहब्बत की लौ जलाने वाले
लौटकर फिर नहीं आते कभी जाने वाले
सारी उम्र साथ रहने का वादा था किया
कुछ दिनों का साथ फिर मुंह मोड़ लिया
तोड़ देते है सपने वही जो थे दिखाने वाले
लौटकर फिर नहीं आते कभी जाने वाले
लाख आवाज़ लगाते रहें बुलाने वाले
लौटकर फिर नहीं आते कभी जाने वाले
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