हाँ मचला था कुछ पल को दिल फिर सो गया
आज उससे फिर मिल भी लिये तो क्या हो गया
मोहब्बत की राहों में हर किसी को भटकना है
सामना उनसे अगर हो भी गया तो क्या हो गया
माना की ज़ख्म अभी अभी तो भरा था मेरा
उसके मिलने से हरा हो भी गया तो क्या हो गया
सच है की उसे भुलाने को वो गलियां छोड़ आया
उसने भी इसी शहर घर बनाया तो क्या हो गया
बस अभी तो मुस्कुराना शुरू ही किया था मैंने
फिर इन आँखों में आंसू आया तो क्या हो गया
कुछ मुझे भी अब उजाले रास आने लगे थे
'मौन' फिर अंधेरो में बिठाया तो क्या हो गया
जी सादर आभार आपका🙏
ReplyDeleteलाजवाब ग़ज़ल ... हर शेर कमाल का ...
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपका🙏
Deleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 14फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपका🙏
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपका🙏
Deleteसुंदर !!!
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपका🙏
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