यूँ खुद तो गम मेरे दरवाजे नही आया होगा
जरूर किसी अपने ने पता मेरा बताया होगा
चेहरे पे नमी सी जो मालूम पड़ती है आज
कल रात वो शख़्स आंसुओं में नहाया होगा
बूँदे लहू की इन जख़्मों पे रिसती नही अब
कोई भंवरा तो इनके इर्द गिर्द मंडराया होगा
खंजर के निशां जिस्म पे दिखने लगे हैं अब
कोई इतने करीब दिल की राहों से आया होगा
अब खामोशियाँ गूँजा करती हैं इस सन्नाटे में
'मौन' होने से पहले वो जरूर चिल्लाया होगा
वाआअह क्या खूब कहा!
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपका🙏
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