कुछ यादें इस दिल से निकाली नही जाती
कुछ निशानियाँ हैं जो संभाली नही जाती
कुछ निशानियाँ हैं जो संभाली नही जाती
कुछ ख़्वाबों की तामील भी इस तरह हुई
शिद्दत से माँगी दुआ कभी ख़ाली नही जाती
शिद्दत से माँगी दुआ कभी ख़ाली नही जाती
जवानी यूँ ही सारी भाग दौड़ में गुजार दी
मगर पीरी तलक भी ये बदहाली नही जाती
मगर पीरी तलक भी ये बदहाली नही जाती
हर सहर आफ़ताब आया कड़ी धूप लिये
रही शीतल सांझ वही उसकी लाली नही जाती
रही शीतल सांझ वही उसकी लाली नही जाती
कुछ ग़जलें मुक़म्मल होती नही 'मौन'
एहसासों की सियाही उनमें डाली नही जाती
एहसासों की सियाही उनमें डाली नही जाती
बहुत प्यारी रचना :)
ReplyDeleteBahut Bahut Dhanyawaad apka
DeleteDhanyawaad aapka
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