बरसात में नदी का भर जाना प्रेम होना है...
फिर समंदर की तरफ तेजी से बढ़ना और उस तक पहुंचने का प्रयत्न करना प्रेम में पागल होना है...
रास्ते में मिलते बाँध, घाट और शहर प्रेम के मार्ग की बाधाएँ हैं...
फिर समंदर में ख़ुद को मिला देना प्रेम में समर्पण है...
समर्पण की प्रक्रिया में ख़ुद के वजूद की परवाह ना करना प्रेम की पराकाष्ठा है....
अनवरत और निरंतर चलती ये प्रक्रिया एक अमर प्रेम कहानी है....
'मौन'
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