दिल है बंजर सूनी बस्ती,
कौन यहाँ अब आएगा
बादल भी जिस घर से रूठे,
बारिश कौन बुलाएगा
उम्मीदों का सूरज डूबा,
अब ना फ़िर से निकलेगा
अँधियारा फैला गलियों में,
रस्ता कौन दिखाएगा
बेचैनी हावी जब ऐसी,
एक पल भी आराम नही
जिसके मन का आँगन सूना,
चैन कहाँ अब पाएगा
हँसना रोना जिसके संग हो,
वो ही जब हो दूर हुआ
रग में जिसकी लहू ना दौड़े,
उसको कौन रुलाएगा
पलकों के आँचल में आँसू,
जाने कब के सूख गए
आँखों से अश्कों की धारा,
किसके लिए बहाएगा
दिल है बंजर सूनी बस्ती,
कौन यहाँ अब आएगा
कौन यहाँ अब आएगा....
अमित 'मौन'
Image Credit: GOOGLE
कौन यहाँ अब आएगा
बादल भी जिस घर से रूठे,
बारिश कौन बुलाएगा
उम्मीदों का सूरज डूबा,
अब ना फ़िर से निकलेगा
अँधियारा फैला गलियों में,
रस्ता कौन दिखाएगा
बेचैनी हावी जब ऐसी,
एक पल भी आराम नही
जिसके मन का आँगन सूना,
चैन कहाँ अब पाएगा
हँसना रोना जिसके संग हो,
वो ही जब हो दूर हुआ
रग में जिसकी लहू ना दौड़े,
उसको कौन रुलाएगा
पलकों के आँचल में आँसू,
जाने कब के सूख गए
आँखों से अश्कों की धारा,
किसके लिए बहाएगा
दिल है बंजर सूनी बस्ती,
कौन यहाँ अब आएगा
कौन यहाँ अब आएगा....
अमित 'मौन'
Image Credit: GOOGLE
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(१५ -१२ -२०१९ ) को "जलने लगे अलाव "(चर्चा अंक-३५५०) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
हार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 15 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteजी बहुत बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteजी हार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteजी हार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteजी हार्दिक धन्यवाद आपका
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