Friday 13 December 2019

कौन यहाँ अब आएगा

दिल है बंजर सूनी बस्ती,
कौन यहाँ अब आएगा
बादल भी जिस घर से रूठे,
बारिश कौन बुलाएगा

उम्मीदों का सूरज डूबा,
अब ना फ़िर से निकलेगा
अँधियारा फैला गलियों में,
रस्ता कौन दिखाएगा

बेचैनी हावी जब ऐसी,
एक पल भी आराम नही
जिसके मन का आँगन सूना,
चैन कहाँ अब पाएगा
 
हँसना रोना जिसके संग हो,
वो ही जब हो दूर हुआ
रग में जिसकी लहू ना दौड़े,
उसको कौन रुलाएगा
 
पलकों के आँचल में आँसू,
जाने कब के सूख गए
आँखों से अश्कों की धारा,
किसके लिए बहाएगा

दिल है बंजर सूनी बस्ती,
कौन यहाँ अब आएगा

कौन यहाँ अब आएगा....

अमित 'मौन'

Image Credit: GOOGLE

10 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(१५ -१२ -२०१९ ) को "जलने लगे अलाव "(चर्चा अंक-३५५०) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 15 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. जी बहुत बहुत सुंदर सृजन।

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    1. जी हार्दिक धन्यवाद आपका

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  4. पलकों के आँचल में आँसू,
    जाने कब के सूख गए
    आँखों से अश्कों की धारा,
    किसके लिए बहाएगा
    .
    वाह वाह वाह, उत्तम सृजन आदरणीय।

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    1. जी हार्दिक धन्यवाद आपका

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  5. सुंदर रचना

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    Replies
    1. जी हार्दिक धन्यवाद आपका

      Delete

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