Tuesday, 15 September 2020

दूरियाँ

कभी कभी लगता है कि थोड़ी दूरी भी बहुत ज्यादा दूरी होती है। फ़िर लगता है कि दूरी तो दूरी है उसमें थोड़ी और ज्यादा की कोई गुंजाइश नही होती। मन कहता है कि तुम बस जरा सी दूर हो, मैं हाथ बढ़ा कर तुम्हे छूना चाहता हूँ पर मेरे हाथ तुम तक नही पहुँच पाते। तुम बहुत दूर लगने लगती हो, लगता है जैसे मैं तुम तक कभी पहुँच ही नही पाऊंगा।


हमारे बीच एक खाई है जिसे पार नही किया जा सकता, पर मैंने फ़िर भी हार नही मानी है। मैं एक पुल बनाने की कोशिश में लगा हूँ। मैं इतने सालों से पुल बना रहा हूँ पर उस पुल का दूसरा सिरा तुम तक पहुँच नही रहा। शायद मैं अच्छा इंजीनियर नही हूँ या हो सकता है मेरे पुल तैयार करते वक़्त ये खाई और लंबी हो गयी हो।

कुछ दूरियाँ इतनी दूर होती हैं कि कभी तय नही हो पाती।

अमित 'मौन'


PC: GOOGLE


14 comments:

  1. अच्छा है कोशिश जारी रहे।

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  2. बहुत खूब ... पर कोशिश ज़रूर रहनी चाहिए ...
    पुल एक न एक दिन बन ही जाता है ...

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    1. जी बिल्कुल.... धन्यवाद आपका

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  3. बहुत सुन्दर

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (18-09-2020) को   "सबसे बड़े नेता हैं नरेंद्र मोदी"  (चर्चा अंक-3828)   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।  
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
    सादर...!--
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  5. बहुत अच्छा लिखा
    बधाई

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  7. बहुत सुन्दर...।
    मन से मन की दूरी बहुत बड़ी दूरी है...

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    1. जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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