दूरियाँ क्या है? हमारे बीच का ये फ़ासला। क्या इसी को हम दूरी कहते हैं ? मुझे तो नही लगता।
कोई फ़ासला तब तक ही फ़ासला रहता है जब तक हम उसे तय नही कर लेते।
दूरियों का बहाना असल में पास ना आने की इच्छा का नाम है। इच्छा या चाहत हो तो सात समंदर पार करके मिला जा सकता है और इच्छा ना हो तो बगल वाले कमरे से उठ कर आना भी मुश्किल हो जाता है।
नदी पार करने के लिए सिर्फ़ पुल का होना जरूरी नही होता पुल पर चलना भी जरूरी होता है।
कभी कभी दो लोग इतने करीब होते हैं कि हाथ बढ़ाकर एक दूसरे को छू सकते हैं या यूँ कहें कि उनके बीच सिर्फ़ हाथ बढ़ाने भर का फ़ासला होता है पर इच्छा के अभाव में वो हाथ अनछुए रह जाते हैं।
नदी कितनी भी चौड़ी हो पुल बनाया जा सकता है और इच्छा जितनी प्रबल हो मुश्किलों का आकार उतना छोटा हो जाता है।
दूरियाँ सिर्फ़ चलकर घटाई जा सकती हैं। हाथ बढ़ाकर ही हाथ मिलाया जा सकता है।
आओ एक साथ हाथ बढ़ाएं और उँगलियों का हुक फँसाकर दूर तक जाएं।
अमित 'मौन'
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया आपका
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