दुःखों का कोई तय ठिकाना नही होता
हम सुख ढूँढ़ते हैं, दुःख तक पहुँच जाते हैं ।
सुख बंजारे हैं भटकते रहते हैं
दुःख जगह ढूँढ़ते हैं और बस जाते हैं ।
सुख के दिन छोटे हुआ करते हैं
दुःख के हिस्से लंबी रातें हैं ।
हम सुख में कितना कुछ भूलने लगते हैं
दुःख आते ही सब कुछ पहचानते हैं ।
सुख कीमती है, डराकर रखता है
दुःख हिम्मत देते हैं, मज़बूत बनाते हैं ।
अमित 'मौन'
सच है । सुन्दर।
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया आपका
Deleteउम्दा गीतिका।
ReplyDeleteजाते हुए साल को प्रणाम।
हार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteकितनी सच बात्यें हैं सभी ... सुख और दुःख में सम्बन्ध है और दोनों के अपने अपने अंदाज़ हैं ...
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगल कामनाएं ...
हार्दिक धन्यवाद आपका
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