Monday, 18 January 2021

कुछ और साल

मेरे मन की सारी मुश्किलों को

कितना आसान बना देती हो तुम

अपने मुस्कान के अनोखे जादू से

कुछ तो है करिश्माई तुम्हारे भीतर
जो हारी हुई मुरझाई साँसों में
ताजी हवा का झोंका भरता है

तुम बिल्कुल उन तितलियों जैसी हो
जो अनजान हैं अपनों मोहक रंगों से
जिन्हें नही पता कि उनको छूने की तमन्ना लिए
कितने बच्चे दौड़ा करते हैं अनायास ही

अंधेरी रातों और उदास आँखों के बीच
तुम बिल्कुल एक सितारे की तरह हो
जिसने बचा रखी है रोशनी की किरण
और सहारा है उस डरे आसमान का

सूखते बाग का आख़िरी बचा पेड़ हूँ मैं
और तुम सालों बाद इधर आए
काले बादल का उमड़ता प्यार
जो बरसेगा और बढ़ा देगा
मेरे जीवन के कुछ और साल।

अमित 'मौन'


P.C.:  GOOGLE


4 comments:

  1. प्रेम का मधुर एहसास सूखे पेड़ में फूल खिला देगा ...
    साँसों का सिलसिला जुड़ जाएगा ... भावपूर्ण रचना ...

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  2. वाह, बहुत बढ़िया

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