मेरे मन की सारी मुश्किलों को
कितना आसान बना देती हो तुम
अपने मुस्कान के अनोखे जादू से
कुछ तो है करिश्माई तुम्हारे भीतर
जो हारी हुई मुरझाई साँसों में
ताजी हवा का झोंका भरता है
तुम बिल्कुल उन तितलियों जैसी हो
जो अनजान हैं अपनों मोहक रंगों से
जिन्हें नही पता कि उनको छूने की तमन्ना लिए
कितने बच्चे दौड़ा करते हैं अनायास ही
अंधेरी रातों और उदास आँखों के बीच
तुम बिल्कुल एक सितारे की तरह हो
जिसने बचा रखी है रोशनी की किरण
और सहारा है उस डरे आसमान का
सूखते बाग का आख़िरी बचा पेड़ हूँ मैं
और तुम सालों बाद इधर आए
काले बादल का उमड़ता प्यार
जो बरसेगा और बढ़ा देगा
मेरे जीवन के कुछ और साल।
अमित 'मौन'
प्रेम का मधुर एहसास सूखे पेड़ में फूल खिला देगा ...
ReplyDeleteसाँसों का सिलसिला जुड़ जाएगा ... भावपूर्ण रचना ...
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteVery Nice your all post. I Love it.
ReplyDeleteफ़्लर्ट शायरी
वाह, बहुत बढ़िया
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