सफर लंबा है अभी तू बस मंजिल का इंतज़ार कर
कमजोर ना पड़े राहों में पहले खुद को तैयार कर
संकरे रास्ते और तंग गलियां हैं जरा मुश्किल होगी
ये जो पत्थर चुभते हैं पहले इनको दरकिनार कर
वो हँसेंगे तेरे गिरने पर और फिर हौसला भी तोड़ेंगे
फर्क न पड़े तुझे जरा भी खुद को इतना शर्मशार कर
मंजिल से कर मोहब्बत और इन राहों को सनम बना
उसे हासिल करने की हो जिद यूँ खुद को बेकरार कर
मुश्किल हालात होंगे कुछ रुकावटे भी होंगी जरूर
दिक्कतों को दुश्मन समझ और पलट के वार कर
नाकामी हाथ आयेगी और उदासियाँ भी साथ लायेगी
एक बार में जो काम हो नही तू कोशिश बार बार कर
कामयाबी जवाब होगी जिनको यकीन नही तुझ पर
तू बस 'मौन' अपने कर्म कर और मुट्ठी में संसार कर
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