पृथ्वी पर आधिपत्य स्थापित करने के लिए सदियों से मनुष्य और प्रकृति में युद्ध होता आ रहा है
मनुष्य के हथियार हैं आरी, कुल्हाड़ी और बड़ी बड़ी मशीनें। जबकि प्रकृति के पास हैं बाढ़, तूफ़ान, भूकंप और ज्वालामुखी।
जब प्रकृति सो रही होती है तब मनुष्य बड़ी चालाकी से कुछ हिस्से पर कब्ज़ा कर लेता है और वहाँ घर रूपी तंबू गाड़ देता है।
फिर अचानक प्रकृति की आँखें खुलती है और वो किसी और हिस्से पर हमला कर वहाँ के तंबू उखाड़ देती है।
अभी तक हुए युद्ध में मनुष्य के हिस्से सफलता अधिक आयी है पर फिर भी प्रकृति का पलड़ा भारी है क्योंकि मनुष्य जानता है कि जब वो जागेगी तब बहुत कुछ दोबारा हासिल कर लेगी।
अमित 'मौन'
मनुष्य के हथियार हैं आरी, कुल्हाड़ी और बड़ी बड़ी मशीनें। जबकि प्रकृति के पास हैं बाढ़, तूफ़ान, भूकंप और ज्वालामुखी।
जब प्रकृति सो रही होती है तब मनुष्य बड़ी चालाकी से कुछ हिस्से पर कब्ज़ा कर लेता है और वहाँ घर रूपी तंबू गाड़ देता है।
फिर अचानक प्रकृति की आँखें खुलती है और वो किसी और हिस्से पर हमला कर वहाँ के तंबू उखाड़ देती है।
अभी तक हुए युद्ध में मनुष्य के हिस्से सफलता अधिक आयी है पर फिर भी प्रकृति का पलड़ा भारी है क्योंकि मनुष्य जानता है कि जब वो जागेगी तब बहुत कुछ दोबारा हासिल कर लेगी।
अमित 'मौन'
महाशक्ति को चुनोती कोई नहीं दे पाया।
ReplyDeleteपधारे- शून्य पार
जी सही कहा...धन्यवाद आपका
Deleteवाह बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deleteसही कहा
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
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