Sunday, 12 January 2020

हिन्द नाम के सूरज को इस तरह नही ढलने देंगे

हिंद नाम के सूरज को, इस तरह नही ढलने देंगे
हम हृदय प्रेम से भर देंगे, अब द्वेष नही पलने देंगे

ये चिंगारी जो भड़की है, ना दिल में घर करने पाए
सींचा है खून से धरती को, बस्ती को ना जलने देंगे 

सूनी गोदें ना होंगी अब, सिंदूर ना पोछा जाएगा
हम जाति-धर्म की बातों पर, बेटों को ना लड़ने देंगे

हो ख़ुशियों से खलिहान भरे, हर दिल मे भाई-चारा हो 
अब नफ़रत की बंदूकों में, बारूद नही भरने देंगे

जब दीवाली में दीप जले, हर हिंदुस्तानी गले मिले
भारत माता की आँखों से, अब आँसू ना बहने देंगे

हम हृदय प्रेम से भर देंगे, अब द्वेष नही पलने देंगे

आइए सभी भारतीय आज ये संकल्प लेते हैं......

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (14-01-2020) को   "सरसेंगे फिर खेत"   (चर्चा अंक - 3580)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    लोहिड़ी तथा उत्तरायणी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका

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  2. नफरत की आंधी लाख चले,हम पर्वत बन कर रोकेंगे।
    गंगा यमुना की धारा में हम शोणित न भरने देंगे।
    आज के संदर्भ में उपयुक्त कविता आदरणीय।

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