Monday, 19 July 2021

दुनिया बहुत बड़ी है

 ये दुनिया अचानक इतनी बड़ी हो गयी है

कि तुम्हारी ख़बर तक नही मिलती
हर अख़बार, सभी चिट्ठी, सारे संदेश
कहीं भी तुम्हारी ख़ुशबू तक नही है

अब दिन मानों सदियों से हो गए हैं
और वक़्त के तो जैसे पंख कट गए हैं
अब नींदें ख़्वाबों से डरने लगी हैं
और इच्छाएं बेमौत मरने लगी हैं

मैं इंतज़ार का कैदी हो गया हूँ
और अंधेरों में जकड़ा हुआ हूँ
अब साँसों का खर्चा उम्मीदें उठाती हैं
और मैं इस जिस्म का बोझ ढोता हूँ

तुम थी तो सब कितना आसान था

दिन यूँ ही पलों में गुज़र जाया करते थे
हम मुठ्ठी में आसमान ले आया करते थे

किनारों पर बैठ कर समंदर नापना हो
या इंद्रधनुष से कोई रंग छाँटना हो
दुनिया सिर्फ़ उस छोर तक सिमटी थी
जहाँ हम हाथ बढ़ाकर पहुँचा करते थे

सपने रोज जन्म लिया करते थे
हम वादों से अपनी जेबें भरते थे
हम घड़ी को कलाई में बाँध कर रखते थे
और वक़्त हाथ छुड़ा कर भाग जाता था

फ़िर एक दिन समय तुम्हें साथ ले गया
और हाथों में इतंज़ार की लकीरें दे गया
अब मन और मुट्ठी दोनों खाली है
बस ये आँखें हैं जो भरी हुई हैं

इन सबके बीच मैं इतना तो जान गया हूँ कि
अकेले रहने के लिए ये दुनिया बहुत बड़ी है
और साथ रहने की उम्र बहुत कम है।

अमित 'मौन'


P.C.: GOOGLE


3 comments:

  1. सुन्दर रचना

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  2. सपने रोज जन्म लिया करते थे
    हम वादों से अपनी जेबें भरते थे
    हम घड़ी को कलाई में बाँध कर रखते थे
    और वक़्त हाथ छुड़ा कर भाग जाता था

    ReplyDelete
  3. हम मुट्ठी में आस्मां ले आया करते थे
    वाह क्या बात है

    ReplyDelete

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