चार बातें असल में सिर्फ़ चार बातें नही होती। चार बातों में बहुत सी बातें छिपी होती हैं। चार बातों की तह में जाने पर कई परतें खुलती हैं और फ़िर इन्ही चार बातों से लोग कितनी बातें बनाते हैं।
किसी से चार बातें कर लेने से मन हल्का हो जाता है।
किसी की चार बातें सुनकर कोई छोटा नही हो जाता।
सांत्वना भरी चार बातें किसी की ज़िंदगी बचा लेती हैं।
इधर-उधर की चार बातें किसी का जीना मुहाल कर देती हैं।
हँस कर चार बातें कर ली तो कोई तुम्हारा नही हो गया।
चार बातें बोलकर किसी को रुलाने का तुम्हें कोई हक नही।
दो लोग मिल बैठ कर चार बातें कर लें तो किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
दो लोगों की चार बातें जीवन की दिशा और दशा बदल देती हैं।
अमित 'मौन'
इन चार बातों का क्या? चार दिन की चाँदनी, फिर अँधेरी रात!
ReplyDeleteजी बिल्कुल
Deleteबहुत खूब।
ReplyDeleteचार में ही पूरा जगत समेट दिया भाई।
जी धन्यवाद आपका
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
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