कभी ख़त्म ना हो ये सफर बस चलते रहना है
गिर के फिर उठना है मगर यूँ ही बढ़ते रहना है
मिलते जायेंगे तजुर्बे नये गुजरते वक़्त के साथ
आप बीती से चुन के नया फ़लसफ़ा लिखना है
गुम अंधेरों में खुद को तलाश करता हूँ अब तक
बाती है हाथ में अभी उम्मीद का दिया जलना है
वक़्त नही पास मेरे अभी कुछ और इंतज़ार करो
बांटनी हैं खुशियां अभी मुझे दर्द अलग रखना है
माटी के खिलौने सा खेला और तोड़ा है सब ने
कठपुतली सा बहुत रहा अब तो इंसान बनना है
हाय तौबा मची यहाँ ना जाने क्यों हर बाजार में
'मौन' हूँ इस वक़्त मगर अभी बहुत कुछ कहना है
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