यूँ तन्हा हर रात सुलाया ना करो
फ़िर ख़्वाबों में मिलने आया ना करो
कुछ अरमान सुलगने लगते हैं
यूँ बातों में इश्क़ जताया ना करो
एक ख़्वाहिश हिचकोले खाती है
दूर रहके प्यास बढ़ाया ना करो
आँखों के रस्ते दिल में उतर जाएं
आशिक़ को ये राह दिखाया ना करो
चाहत तुम्हें भी कम नही जानां
ज़माने को ये राज़ बताया ना करो
मंज़िल इश्क़ की यूँ ही मिलती नहीं
क़दम दो चल के वापस जाया ना करो
'मौन' हो पर कुछ कहना है शायद
कर भी दो इक़रार छुपाया ना करो
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteबेकरारी से वहशत की जानिब