Sunday, 6 January 2019

चाँद...

रात अमावस गहरी काली
जाने क्यों ना  आया  चाँद

ओढ़ी बदरी सोया फिर से
थोड़ा सा  अलसाया  चाँद

सहमी चिड़िया डरी गिलहरी
थोड़ा  और  इतराया  चाँद

जाने क्या फिर मुझको सूझा
मैं  छत  पे  ले  आया  चाँद

देख रोशनी मेरे चाँद की
थोड़ा सा  घबराया चाँद

आलिंगन से चाँद जल गया
जब बाहों में  शरमाया चाँद

भौंह सिकोड़ी आँख तरेरी
पर कुछ ना कर पाया चाँद

भाँप बेबसी उस चंदा की
थोड़ा और जलाया  चाँद

तेरी चाँदनी नाज़ करे क्यों
हमने  भी  तो  पाया  चाँद
 
हार मान ली बाहर निकला
गलती  पे  पछताया  चाँद

हुई पूर्णिमा पूरा  चंदा
नई रोशनी लाया चाँद

अमित 'मौन'

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