विश्वास :
गुम है कहीं मतलब की अलमारी में
धोखे की दीवारों के बीच
पैसों की आड़ में छुपा हुआ....
आख़िरी बार देखा गया था उसे
लंगड़ा कर एक पैर पर चलते हुए
अब शायद गिर गया होगा कहीं
कभी ना खड़ा होने के लिए......
आने वाले समय में विश्वास को अतीत की
किसी किवदंती के रूप में याद किया जाएगा...
अमित 'मौन'
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